उत्तराखंड समाचार: चमोली जिले के नंदानगर ब्लॉक के मटई गांव के ग्रामीण इन दिनों भालू से डरे हुए हैं। कल रविवार को अपने खेत के पास घास लेने गए सुरेंद्र लाल पर भालू ने हमला कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया। खेतों में काम कर रही महिलाओं के शोर मचाने पर भालू ग्रामीण को अधमरा छोड़कर जंगल की ओर भाग गया। ग्रामीणों की मदद से घायल सुरेंद्र को जिला अस्पताल गोपेश्वर पहुंचाया गया, जहां उसका उपचार चल रहा है।
बदरीनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे का कहना है कि आदमखोर जंगली जानवर को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने के लिए मुख्य वन्य जीव कार्यालय से अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि भालू बहुत समझदार जानवर है, वह आसानी से पिंजरे में नहीं फंसता, भालू को भगाने का एक ही उपाय है, वह यह कि जिस गांव में भालू मौजूद है, वहां के लोग समूह बनाकर शोर मचाकर भालू को भगाएं, जिस व्यक्ति को भालू ने घायल किया है, उसे वन विभाग के नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार मतई गांव निवासी सुरेंद्र लाल घास लेने के लिए गांव से थोड़ी दूर खेतों में गया था। वहां पहले से घात लगाए बैठे भालू ने अचानक सुरेंद्र लाल पर हमला कर दिया और उसके सिर और आंख को पूरी तरह से घायल कर दिया। ग्रामीणों के शोर मचाने पर भालू सुरेंद्र को छोड़कर वहां से भाग गया। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई दिनों से भालू का खौफ बना हुआ है। कुछ दिन पहले भालू ने मतई गांव के पानीगेठ तोक में कई मवेशियों का शिकार कर उन्हें मार डाला था।
मटई गांव के प्रधान प्रभात पुरोहित ने बद्रीनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी को बताया कि जिस रास्ते से यह घटना हुई है, उसी रास्ते से स्कूली बच्चे अपने घर आते-जाते हैं। उन्होंने कहा कि विभाग को जल्द ही गांव के आसपास भालू को पकड़ने के लिए पिंजरे लगाने चाहिए, ताकि समय रहते किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके।
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